होली में फट गई चोली भाग ६
होली अच्छी-खासी शुरू हो गई थी.
“अरे भाभी, आपने सुबह उठ के इतने गिलास शरबत गटक लिये, गुझिया भी गपाक ली लेकिन मन्जन तो किया ही नहीं.”
“आप क्यों नहीं करवा देती.???” अपनी माँ को बड़ी ननद ने उकसाया.
“हां…हां…क्यों नहीं…मेरी प्यारी बहु है…” और गाण्ड में पूरी अंदर तक 10 मिनट से मथ रही उंगलियों को निकल के सीधे मेरे मुँह में, कस-कस के वो मेरे दांतों पे और मुँह पे रगडती रही. मैं छटपटा रही थी लेकिन सारी औरतो ने कस के पकड़ रखा था. और जब उनकी उँगली बाहर निकली तो फिर वही तेज भभक मेरे नथुनों में…. अबकी जेठानी थी.
“अरे तुने सबका शरबत पिया तो मेरा भी तो चख ले…”
पर बड़ी ननद तो उन्होंने बचा हुआ सीधा मेरे मुँह पे, “अरे भाभी ने मन्जन तो कर लिया अब जरा मुँह भी तो धो ले…”
घन्टेभर तक वो औरतो, सासुओं के साथ और उस बीच सब शरम-लिहाज…. मैं भी जम के गालियाँ दे रही थी. किसी की चुत, गाण्ड मैंने नहीं छोड़ी और किसी ने मेरी नहीं बख्शी…..
उनके जाने के बाद थोड़ी देर हमने साँस ली ही थी कि गाँव की लड़कियों का हुजूम……
मेरी ननदें सारी….14 से 24 साल तक ज्यादातर कुँवारी…. कुछ चुदी, कुछ अनचुदी….कुछ शादी-शुदा, 1-2 तो बच्चों वाली भी……कुछ देर में जब आई तो मैं समझ गई कि असली दुर्गत अब हुई. एक से एक गालियां गाती, मुझे छेड़ती, “भाभी, भैया के साथ तो रोज मजे उड़ाती हो….आज हमारे साथ भी….”
ज्यादातर साड़ीयों में, 1-2 जो कुछ छोटी थी फ्रोक में और 3-4 सलवार में भी…. मैंने अपने दोनों हाथों में गाढ़ा बैंगनी रंग पोत के रखा था और साथ में पेन्ट, वार्निश, गाढ़े पक्के रंग सब कुछ……
एक खम्भे के पीछे छिप गई मैं, ये सोच के कि कम से कम 1-2 को तो पकड़ के पहले रगड़ लुंगी. तब तक मैंने देखा कि जेठानी ने एक पड़ोस की ननद को (मेरी छोटी बहन छुटकी से भी कम उम्र की लग रही थी, उभार थोड़े-थोड़े बस गदरा रहे थे, कच्ची कली) उन्होंने पीछे से जकड़ लिया और जब तक वो सम्भले-सम्भले लाल रंग उसके चेहरे पे पोत डाला. कुछ उसके आँख में भी चला गया और मेरे देखते-देखते उसकी फ्रोक गायब हो गई और वो Bra-Panty में………..
जेठानी जी ने झुका के पहले तो ब्रा के ऊपर से उसके छोटे-छोटे अनार मसले. फिर panty के अंदर हाथ डाल के सीधे उसकी कच्ची कली को रगड़ना शुरू कर दिया. वो थोड़ा चिचियाई तो उन्होंने कस के दो हाथ उसके छोटे-छोटे कसे चूतडों पे मारे और बोली, “चुपचाप होली का मज़ा ले…….”
फिर से Panty में हाथ डाल के, उसके चूतडो पे, आगे जांघों पे और जब उसने सिसकी भरी तो मैं समझ गई कि मेरी जेठानी की उँगली कहाँ घुस चुकी है..??? मैंने थोड़ा-सा खम्भे से बाहर झाँक के देखा, उसकी कुँवारी गुलाबी कसी चुत को जेठानी की उँगली फैला चुकी थी और वो हल्के-हल्के उसे सहला रही थी…..
अचानक झटके से उन्होंने उँगली की टिप उसकी चूत में घुसेड़ दी. वो कस के चीख उठी.
“चुप….साली…..” कस के उन्होंने उसकी चूत पे मारा और अपनी चूत उसके मुँह पे रख दी…. वो बेचारी मेरी छोटी ननद चीख भी नहीं पाई……
“ले चाट चूत……चाट…कस-कस के……” वो बोली और रगड़ना शुरू कर दिया.. मुझे देख के अचरज हुआ कि उस साल्ली चुत मराणो मेरी ननद ने चूत चाटना भी शुरू कर दिया. वो अपने रंग लगे हाथों से कस के उसकी छोटी चुचियों को रगड़, मसल भी रही थी. कुछ रंग-रगड़ से चुचियाँ एकदम लाल हो गई थी. तब हल्की-सी धार की आवाज ने मेरा ध्यान फिर से चेहरे की ओर खीचा. मैं दंग रह गई…….
“ले पी….ननद…साल्ली….होली का शरबत….ले……एकदम से जवानी फुट पड़ेगी….नमकीन हो जायेगी ये नमकीन शरबत पी के……” जेठानी बोल रही थी.
एकदम गाढ़े पीले रंग की मोटी धार……चार-चार…..सीधे उसके मुँह में…. वो छटपटा रही थी लेकिन जेठानी की पकड़ भी तगड़ी थी…. सीधा उसके मुँह में……. जिस रंग का शरबत मुझे जेठानी ने अपने हाथों से पिलाया था, बिल्कुल उसी रंग का वैसा ही और उस तरफ देखते समय मुझे ध्यान नहीं रहा कि कब दबे पांव मेरी चार गाँव की ननदें मेरे पीछे आ गई और मुझे पकड़ लिया.
उसमे सबसे तगड़ी मेरी शादी-शुदा ननद थी, मुझसे थोड़ी बड़ी बेला. उसने मेरे दोनों हाथ पकड़े और बाकी ने टाँगे. फिर गंगा डोली करके घर के पीछे बनी एक कुण्डी में डाल दिया. अच्छी तरह डूब गई मैं रंग में. गाढ़े रंग के साथ कीचड़ और ना जाने क्या-क्या था उसमे.? जब मैं निकलने की कोशिश करती २-४ ननदें उसमे जो उतर गई थी, मुझे फिर धकेल दिया… साड़ी तो उन छिनालों ने मिल के खींच के उतार ही दी थी. थोड़ी ही देर में मेरी पूरी देह रंग से लथ-पथ हो गई. अबकी मैं जब निकली तो बेला ने मुझे पकड़ लिया और हाथ से मेरी पूरी देह में कालिख रगड़ने लगी. मेरे पास कोई रंग तो वहाँ था नहीं तो मैं अपनी देह से ही उस पे रगड़ के अपना रंग उस पे लगाने लगी.
वो बोली, “अरे भाभी, ठीक से रगड़ा-रगड़ी करों ना…..देखो में बताती हूँ तुम्हारे ननदोई कैसे रगड़ते है…!!?!!” और वो मेरी चूत पे अपनी चूत घिसने लगी. मैं कौन-सी पीछे रहने वाली थी.? मैंने भी कस के उसकी चूत पे अपनी चूत घिसते हुए बोला, “मेरे सैया और अपने भैया से तो तुमने खूब चुदवाया होगा, अब भौजी का भी मज़ा ले ले…..”
उसके साथ-साथ लेकिन मेरी बाकी ननदें….. आज मुझे समझ में आ गया था कि गाँव में लड़कियाँ कैसे इतनी जल्दी जवान हो जाती है तथा उनके चूतड़ और चुचियाँ इतनी मस्त हो जाती है…. छोटी-छोटी ननदें भी कोई मेरे चूतड़ मसल रहा था तो कोई मेरी चुचियाँ लाल रंग लेके रगड़ रहा था……
थोड़ी देर तक तो मैंने सहा फिर मैंने एक की कसी कच्ची चूत में उँगली ठेल दी…………
(TBC)…
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